गौशाला सभा चावमंडी रुड़की की स्थापना लगभग 1963 में हुई गौशाला की स्थापना का मुख्य उद्देश्य गौमाता की सेवा तथा समाज को गौसेवा के लिए प्रेरित करना है गौसेवा के माध्यम से समाज में आस्था को कायम करना तथा समाज को जागरूक करना इस सोच के साथ गौशाला निरंतर निस्वार्थ कार्य करती आ रही है गौशाला सभा के अच्छे काम को देखते हुए भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड तथा उत्तराखण्ड पशु कल्याण बोर्ड ने गौशाला सभा चाव मंडी को मान्यता दी समय- समय पर प्रदेश सरकार द्वारा निरीक्षण किया गया है जिसमे उप जिलाधिकारी श्री प्रत्युष सिंह जी ने निरीक्षण कर गौमाता की स्थिति को देखा तथा गौशाला के कार्य की प्रसन्ता की गौशाला में करीब 250 गौमाता को स्थान दिया गया है और उनकी सेवा तथा देख-रेख का काम हम निरंतर करते आ रहे है गौशाला चाव मंडी में करीब 40 कर्मचारी को रखा गया है जो गौमाता की देख रेख तथा समय समय पर चारा तथा गौशाला को स्व्च्छ रखने का कार्य करते है गौश्ला के सभी सदस्य गौमाता के सेवा के लिये निस्वार्थ सेवा में लगे है हम गौमाता के गोबर से शुद्ध गोबर टक्की का उत्पादन भी करते है गोबर टक्की जो घरो में पूजा तथा हवन में प्रयोग की जाती है
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